शराबबंदी से पहले” बिहार में शराब” बिक्री से सालाना करीब 4,000-6,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता था। 2014-15 में यह 3,000 करोड़ से ज्यादा था, और 2015-16 का लक्ष्य 4,000 करोड़ रुपये था। शराबबंदी के बाद यह आय पूरी तरह बंद हो गई। कुछ अनुमानों के अनुसार, अगर शराब को कानूनी रूप से बेचा जाता, तो 50-60% कर दर के साथ राज्य को 18,000 करोड़ रुपये तक की सालाना आय हो सकती थी।
अवैध व्यापार और समानांतर अर्थव्यवस्था : शराबबंदी के बावजूद राज्य में अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। अनुमान है कि इसका बाजार 30,000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है। यह पैसा सरकार के खजाने में नहीं, बल्कि शराब माफिया और भ्रष्ट तंत्र के हाथों में जा रहा है। पुलिस और प्रशासन पर भी इसकी निगरानी के लिए अतिरिक्त बोझ पड़ा है।
नौकरियों पर असर:शराब से जुड़े कारोबार (दुकानें, वितरण, उत्पादन) में लगे लोगों की आजीविका प्रभावित हुई। हालांकि, सरकार ने वैकल्पिक रोजगार के दावे किए, लेकिन बड़े पैमाने पर यह सफल नहीं हुआ।
आर्थिक फायदे:
पारिवारिक बचत: शराबबंदी के बाद घरेलू खर्च में सुधार देखा गया। बिहार सरकार के 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, परिवारों का खान-पान पर खर्च 1,005 रुपये से बढ़कर 1,331 रुपये हो गया। दूध और अन्य पोषक उत्पादों की खपत में 17.5% की बढ़ोतरी हुई। इससे गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति में कुछ हद तक सुधार हुआ, क्योंकि शराब पर खर्च होने वाला पैसा अब शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में लग रहा है।
सामाजिक लागत में कमी:”बिहार में शराब” से जुड़े अपराध, सड़क हादसे, और घरेलू हिंसा में कमी आई, जिससे सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च कम करना पड़ा। हालांकि, जहरीली शराब से होने वाली मौतें इस दावे को कमजोर करती हैं।
कुल मिलाकर:
शराबबंदी से बिहार को सीधे तौर पर राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ, जिसकी भरपाई के लिए सरकार को टैक्स के अन्य स्रोतों पर निर्भर होना पड़ा। दूसरी ओर, अवैध शराब के कारोबार ने एक समानांतर अर्थव्यवस्था को जन्म दिया, जिससे आर्थिक लाभ माफिया के पास चला गया। हालांकि, सामाजिक स्तर पर कुछ सकारात्मक प्रभाव दिखे, लेकिन आर्थिक दृष्टि से यह नीति पूरी तरह सफल नहीं मानी जा सकती। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ‘ बिहार में शराब’ को नियंत्रित तरीके से वैध किया जाए, तो राज्य को भारी राजस्व मिल सकता है, जिसका उपयोग विकास कार्यों में हो सकता है|
बिहार के गाँव गाँव मे आज
बिहार के आज गाँव – गाँव में शराब को पहुचने में युवों का बहुत बढ़ा हाथ है |”बिहार में शराब” बेच कर को कुछ आर्थिक लाभ तो प्राप्त कर ही ले रहे है | पर बिहार का बहुत बड़ी संख्या बर्बाद हो रही है सरकार को इसे बहुत ध्यान से देखना होगा की क्या जिस माँ के कहने से शराब को बंद किया गया था आज उसी माँ का बेटा अपराधी बना हुआ है |
माँ से वादा उलट हुआ
जिसे बंद कर के सरकार बहुत खुस हो रही है उसी माँ का बेटा अपराधी बनते जा रहा है | चलो मान लिया कुछ देर के लिए की उनको इससे लाभ तो है । पर जिस दिन ये चालू हुआ | तो फिर ये बच्चे कहा जाए गए क्या क्या करेगे | जिसने अपराध की दुनिया मे अपना छोटा स कदम रख दिया है ओ क्या अब छोड़े गे ।|”बिहार में शराब” बंदी को लेके सोचना होगा |
इस तरह की बाते उन्हे पूरी तरह बर्बाद कर देगी | मेरी बाते चुभ सकती है | पर ये बाते कल की सच्चाई है | जिसे जितना जल्दी स्वीकार कर ले |आने वाली युवा पीढ़ी सरकारी जॉब की तलाश में है पर इसमें काफी टाइम लगता है ।u
Hii
बिल्कुल सही बात है बिहार सरकार के राजस्व के बहुत ज्यादा घाटा हुआ है शराबबंदी से।
Hii oo