परीक्षा मे असफल होने के बाद
परीक्षा जीवन कि एक ऐसी कडी है जो हमे आगे बढ़ने का औसर देती है | जिसके माध्यम से हमें ये तै कर पते है की हमे अपने जीवन मे किस ओर आगे बढ़ना है | पर हम यह उस स्थिति को समझना चाहते है जिस के लिए हम तैयार नही होते | परीक्षा मे असफल होने के बाद क्यों की कोई भी स्टूडेंट इसके लिए तैयार नही होता है |
हमारे सामाजिक परिवेश मे कोई भी किसी भी ‘ परीक्षा मे असफल होने के बाद ‘ की बात करता ही नहीं है | सभी को बस सफल लोगों कोही देखना या रहना पसंद करते है | जोकि सामाजिक रूप से बिल्कुल भी गलत है या असामाजिक बात है क्योंकी सभी को अवसर मिलन चा हिये उसे पहले हमे सामाजिक रूप से भी सिविकार करना होगा और किसी के लियें भी तैयार रहना होगा ताकि असफला को 1 औसर के रूप मे लिया जा सके |
क्या करे बच्चे उन स्थिति मे
स बसे पहले तो बच्चों को उस स्थिति मे अपने आस पास लोगों से प्यार और सहानुभूति की आस होती है पर लोगों को तो पास या सफल स्टूडेंट ही दि खाई देते है और ओ स्टूडेंट खुद कों अकेला पाते है । अब इस दुनिया मे अकेले है ये स्थिति बढ़ी दुखदायक और घबराहट भारी होती है ऐसे मे कोई पास होना चाहिए जो उसने समझे या समझा सके ताकि ओ खुद को गलत न समझे और हिमत रखे हमे ये बतान चाहिए की हम भी कोई खास तेज नहीं थे | हम, भी कई औ सरो पर फेल या असफल रहे है | जिसे बच्चों कोए लगेगा की केवल ओ ही इस दुनिया मे असफल नहीं हुआ है |
रिश्तों और संबंधिओ से
साथ रहने से कोई रिस्ते दार या परिवार नहीं बन सकता उसके लिए एक दुसरे को समझना भी होगा / जिसके लिए हमे ये जानन बहुत ही अवस्यक है की किसकी कैसी मनो दसा है बस जान लेना ही काफी नहीहै |उसे उसकी मनोदसा के हिसाब वेवहार भी करना होगा |ताकि आज ओ क्या सोच रहे है और क्यों सोच रहे ‘ परीक्षा में असफल होने के बाद ‘ क्या क्या सोच सकते है ओ सब सोचना होगा हमे | कई बार रिस्तोंदरों और संबंधिओ के बच्चे अच्छा करते है तो ओ बहुत जड़ रिएक्ट करते है जैसे की क्या कर दिया हो अब ऐसा कोई नहीं कर सकता है ये वेवहार उन बच्चों को पूरी तरह तोड़ देती है
अपनी गलतियों को स्वीकार करें और उनका समाधान करने का प्रयास करें.
जब तक हम खुद को दोषी नहीं माने गे तब तक खुद मे बदलाव नहीं कर सकते जैसे ही ये बात स्वीकार कर लेते है वैसे ही खुद को समझ पाए गए की हम वसत्विक रूप मे कहा खड़े है | खुद को पूरी तरह से बदलने की सारी कोशीश करनी चा हिये अब कोई भी चूक अप को फिर वही ला सकती और फिर से ये सोचने लगएगे की परीक्षा मे असफल होने के बाद क्या करे |हमे उन विषयों को फिर से टाइम देना होगा | अब देखना होगा की कहा चूक हुई है | फिर दिन भर का टाइम टेबल करना होगा | उसे पूरा करने की कोशिश करने होंगे रोज की तैयारी के लिए टीचर से भी संपर्क करना चाहिए |
एक टाइम टेबल दिया गया है जरूरत के हिसन से चेक कर ले
समय | विषय | आराम |
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6:00 AM- 8:00 AM | गणित ( नए टापिक्स पढे - बुक रीडिंग | 8 :00 AM - 8:10AM ब्रेक |
8 : 10AM - 10:10 AM | संस्कृत | 10:10 AM - 10:20 AM |
10:20 AM - 12:20 PM | गणित (सेट प्रेक्टिस हल ) | 12:20 PM - 12 : 30 PM |
12:30 PM - 02 : 30 PM | संस्कृत ( प्रेक्टिस सेट ) | 02 : 30 PM - 02 : 40 PM |
02 : 40 PM - 04:40 PM | कोचिंग (गणित + संस्कृत ) | 04 : 40 PM - 04 : 40 PM |
04 : 40 PM - 06 : 50 PM | रिवीजन + डाउट | समाप्त |
नोट :
1 .बुक रीडिंग और प्रेक्टिस का संतुलन : पहले नए पाठ को समझे , फिर प्रेक्टिस करे ।
2 कोचिंग का टाइम 2 घंटे रखा गया है ताकि शिक्षक से मार्गदशन मिल से ।
3 रिवीजन का समय : रखा गया है जिससे पूरे दिन की पढ़ाई को दोहराया जा सके ।
4 हर 2 घंटे बाद 10 मिनट का ब्रेक रखा गया है ताकि पढ़ाई प्रभावि बने रहे ।
अगर आप चाहे तो और भी बदलाव किया जा सकता है टाइम टेबल मे
निराश न हों, बल्कि अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास जारी रखें
निराश होना तो लजमी है ही क्यों की परीक्षा मे असफल होने के बाद कोई कितना भी सकरात्मक क्यू न हो पर एक टाइम पे टूट ही जाता है पर हिम्मत रखे और खुद को ये अवसर देने के लिए भगवान को थैंक बोले और जो मॅक्स आप से चूकगई थी ओ फिर से अवसर दिया है भगवान ने | अपना अब सब प्रयास झुक दे ताकि ये दिया हुआ औसर आप कि किस्मत को बदल दे | ऊपर दिया हुआ टाइम टेबल फॉलो करे आप को सफलता जरूर मिले गी भरोसा खुद को होना चाहिए |
असफल होने के बाद डिप्रेशन से बाहर
‘परीक्षा मे असफल होने के बाद’ डिप्रेशन मे जाना तो लजमी है पर ये सभी पर लगू नहीं होता है | असफलता हमे सामाजिक मानसिक दो तरह से तोड़ देती है | मेरा मानन ये है की अभी हमारा समाज उस अस्तर का विकसित नहीं हुआ है |
जहा बच्चों के मनो दशा ध्यान मे रखे और उनसे बात करे | हम भी नहीं कर प रहे| जिसे की बच्चों की समझ को उचे अस्तर पर रख कर’ ये समझा सके की परीक्षा मे असफल होना इतना भी बढ़ा संगीन जुर्म नहीं है ये तो पढ़िई मे होने वाले कंजोरिओ या लापरवाही के नतीजे है |
जिसके का रण डिप्रेशन मे बच्चे जाने लगते है उनको अब सब तरफ का रास्ता बंद नजर आता है पड़ोसी के अलावा माता और पिता भी बच्चों को उस ओर ही धकेल देते है क्यू की उनके जान कार का बच्चा अच्छे नंबर से पास हो गया और आप का बच्चा फेल हो गया है ये परीक्षा फल आने से पहले ही करना होगा हमे ताकि ओ सामन कर सके | ये मन लेना भूल होगी की बच्चे खुद ही समझ जा े गए ये बस देखने मे लगता है पर ऐसा होता नहीं है |