प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
sunita williams
सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर, 1965 को यूक्लिड, ओहियो, अमेरिका में हुआ था। उनके पिता, डॉ. दीपक पंड्या, भारतीय मूल के एक प्रसिद्ध न्यूरोएनाटोमिस्ट थे, जो गुजरात के मेहसाणा जिले से थे। उनकी माँ, बونی पंड्या, स्लोवेनियाई मूल की थीं। सुनीता तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी थीं और उनका बचपन मैसाचुसेट्स के नीधम में बीता। नीधम हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने 1983 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल अकादमी में दाखिला लिया। वहाँ से उन्होंने 1987 में फिजिकल साइंस में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की।
सुनीता की रुचि हमेशा से विज्ञान और तकनीक में थी। नेवल अकादमी में पढ़ाई के दौरान ही उनकी मुलाकात माइकल जे. विलियम्स से हुई, जो बाद में उनके पति बने। 1995 में उन्होंने फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उनके भविष्य के करियर की मजबूत नींव रखी।
नौसेना में करियर की शुरुआत

सुनीता विलियम्स ने 1987 में नेवल अकादमी से ग्रेजुएशन के बाद अमेरिकी नौसेना में कमीशन प्राप्त किया और एक एन्साइन के रूप में अपनी सेवा शुरू की। 1989 में उन्होंने नेवल एविएशन ट्रेनिंग कमांड में एविएटर ट्रेनिंग शुरू की और जल्द ही कॉम्बैट हेलिकॉप्टर पायलट बन गईं। अपने नौसेना करियर के दौरान, उन्होंने पर्शियन गल्फ वॉर की तैयारियों, इराक के कुर्द क्षेत्रों में नो-फ्लाई जोन स्थापित करने और 1992 में हरीकेन एंड्रयू के बाद राहत कार्यों में हिस्सा लिया।
1993 में सुनीता नेवल टेस्ट पायलट बन गईं और बाद में टेस्ट पायलट प्रशिक्षक के रूप में काम किया। उन्होंने 30 से अधिक विभिन्न प्रकार के विमानों को उड़ाया और 3000 से ज्यादा उड़ान घंटे पूरे किए। उनकी यह अनुभवी पृष्ठभूमि उन्हें नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम के लिए एक मजबूत उम्मीदवार बनाती थी।
नासा में चयन और प्रशिक्षण
1998 में सुनीता विलियम्स को नासा ने अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना। यह उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। अगस्त 1998 में वे जॉनसन स्पेस सेंटर में प्रशिक्षण के लिए पहुँचीं। यह प्रशिक्षण बेहद कठिन था, जिसमें अंतरिक्ष स्टेशन सिस्टम, टी-38 उड़ान प्रशिक्षण, और पानी व जंगल में जीवित रहने की तकनीकों को सीखना शामिल था। सुनीता ने इन सभी चुनौतियों को पार किया और अंतरिक्ष मिशन के लिए तैयार हुईं।
पहला अंतरिक्ष मिशन: एक्सपेडिशन 14/15

सुनीता विलियम्स का पहला अंतरिक्ष मिशन 9 दिसंबर, 2006 को शुरू हुआ। वे स्पेस शटल डिस्कवरी (STS-116) के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुँचीं। यहाँ वे एक्सपेडिशन 14 और 15 की फ्लाइट इंजीनियर थीं। इस मिशन के दौरान उन्होंने चार स्पेसवॉक किए, जो कुल 29 घंटे और 17 मिनट तक चले। यह उस समय किसी महिला द्वारा किया गया सबसे लंबा स्पेसवॉक था।
16 अप्रैल, 2007 को सुनीता ने एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने अंतरिक्ष में रहते हुए बोस्टन मैराथन पूरी की, जो ISS के ट्रेडमिल पर 4 घंटे और 24 मिनट में पूरी हुई। यह पहली बार था जब किसी ने अंतरिक्ष से मैराथन दौड़ा। 192 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद वे 22 जून, 2007 को STS-117 मिशन के जरिए पृथ्वी पर लौटीं। इस मिशन में उन्होंने सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाली महिला का रिकॉर्ड बनाया, जो बाद में टूट गया।
दूसरा अंतरिक्ष मिशन: एक्सपेडिशन 32/33
सुनीता विलियम्स का दूसरा मिशन 15 जुलाई, 2012 को सोयुज TMA-05M के जरिए शुरू हुआ। वे एक्सपेडिशन 32 की फ्लाइट इंजीनियर थीं और बाद में 16 सितंबर, 2012 को एक्सपेडिशन 33 की कमांडर बनीं। यह पहली बार था जब किसी भारतीय मूल की महिला ने ISS की कमान संभाली। इस मिशन में उन्होंने तीन और स्पेसवॉक किए, जिससे उनकी कुल स्पेसवॉक अवधि 50 घंटे और 40 मिनट हो गई। यह अब तक किसी महिला द्वारा सबसे ज्यादा स्पेसवॉक समय है।
इस मिशन के दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में पहला ट्रायथलॉन भी पूरा किया। 127 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने के बाद वे नवंबर 2012 में पृथ्वी पर लौटीं। दो मिशनों में उनकी कुल अंतरिक्ष अवधि 321 दिनों की थी, जो उस समय किसी महिला के लिए दूसरा सबसे लंबा समय था।

तीसरा अंतरिक्ष मिशन: बोइंग स्टारलाइनर
सुनीता विलियम्स का तीसरा मिशन 5 जून, 2024 को शुरू हुआ, जब वे बोइंग स्टारलाइनर के पहले क्रूड फ्लाइट टेस्ट के लिए अंतरिक्ष में गईं। इस मिशन में उनके साथ नासा के अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर थे। यह बोइंग का पहला मानवयुक्त मिशन था, और सुनीता इस अंतरिक्ष यान को उड़ाने वाली पहली महिला बनीं। हालांकि, तकनीकी खराबी (थ्रस्टर और हीलियम लीक) के कारण उनकी वापसी में देरी हुई। नासा ने फैसला किया कि वे स्टारलाइनर के बजाय स्पेसएक्स ड्रैगन के जरिए मार्च 2025 में पृथ्वी पर लौटेंगी।
इस मिशन में वे एक्सपेडिशन 71/72 का हिस्सा बनीं और 608 दिनों के साथ उनकी कुल अंतरिक्ष अवधि अब तक की सबसे ज्यादा है। वे अभी भी ISS पर हैं और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों में योगदान दे रही हैं।ww
सांस्कृतिक योगदान और व्यक्तिगत जीवन
सुनीता ने अपनी भारतीय विरासत को हमेशा सम्मान दिया। अपने मिशनों के दौरान उन्होंने भगवद् गीता, उपनिषद, सांकेतिक ओम, सamosas और गणेश की मूर्ति को अंतरिक्ष में ले जाकर अपनी जड़ों से जुड़ाव दिखाया। वे हिंदू धर्म का पालन करती हैं और 2007 में गुजरात के साबरमती आश्रम और अपने पैतृक गाँव झुलासन भी गईं।
सुनीता अपने पति माइकल के साथ टेक्सास में रहती हैं। उन्हें तैराकी, दौड़ना, और अपने कुत्तों के साथ समय बिताना पसंद है। 2012 में उन्होंने अहमदाबाद से एक बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई थी।
उपलब्धियाँ और सम्मान
सुनीता को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं:
- पद्म भूषण (भारत सरकार द्वारा)
- नेवी कमेंडेशन मेडल
- लेगियन ऑफ मेरिट
- मेडल फॉर मेरिट इन स्पेस एक्सप्लोरेशन (रूस द्वारा)
- गोल्डन ऑर्डर फॉर मेरिट्स (स्लोवेनिया द्वारा)
वे 9 स्पेसवॉक के साथ दूसरी सबसे अनुभवी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं और कुल 62 घंटे 6 मिनट के साथ चौथी सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं।
समाज पर प्रभाव
सुनीता विलियम्स ने STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, और मैथमेटिक्स) क्षेत्र में युवाओं, खासकर लड़किओ को प्रेरित किया है। उनकी कहानी मेहनत, लगन और सपनों को सच करने की प्रेरणा देती है। वे नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम का हिस्सा हैं, जो चंद्रमा और मंगल पर मानव मिशन की तैयारी कर रहा है।